सोमवार, 30 जनवरी 2012

पागल

पागलखाने के आँगन में मैं एक युवक जिसका चेहरा जर्द , प्यारा और आश्चर्यों से भरा था, से मिला । और मैं उसके पास एक बैंच पर बैठा, और मैंने कहा, "तुम यहाँ क्यों हो ?"
और उसने मेरी तरफ अचम्भे से देखा, और उसने कहा, "यह एक अनुचित सवाल है , फिर भी मैं आपको जवाब दूंगा । मेरे पिता मुझे अपनी प्रतिकृति बनाना चाहते थे; और मेरे चाचा भी । मेरी माता के अनुसार मुझे उनके जहाजी पति के उत्तम उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए । मेरा भाई सोचता है कि मुझे उसके जैसा बनना चाहिए, एक उम्दा खिलाड़ी ।

"और मेरे शिक्षक भी, दर्शनशास्त्र के पंडित, और संगीत विशारद, और तर्कशास्त्री, वे सब भी दृढ़ - संकल्प लिए थे, और हर कोई मुझे बस अपने चेहरे का आईने में पड़ा प्रतिबिम्ब बनाना चाहते थे ।

"इसलिए मैं इस जगह पर आया हूँ, मुझे यहाँ ज्यादा स्वस्थ चित लगता है । कम से कम, मैं यहाँ पर मैं बन कर रह सकता हूँ "

फिर अचानक वह मेरी ओर मुड़ा और उसने कहा, "लेकिन आप बताओ, क्या आपको भी इस जगह शिक्षा और अच्छे परामर्श ने धकेला है ?"

और मैंने कहा , "नहीं, मैं यहाँ सिर्फ देखने को आया हूँ।"

और उसने जवाब दिया, "ओह, आप दीवार के दूसरी तरफ पागलखाने में रहने वाले लोगों में से एक हो ।"



सोमवार, 23 जनवरी 2012

सपने

एक आदमी ने एक सपना देखा, और जब वह जागा वह अपने भविष्यदृष्टा के पास गया और सपने का साफ़ मतलब जानने की इच्छा जताई |

और भविष्यदृष्टा ने उस आदमी से कहा, "मेरे पास आओ उन सपनों के साथ जो तुम जागते हुए देखते हो और मैं तुम्हें उनका मतलब बताऊंगा | लेकिन जो सपने तुम्हारी नींद के हैं, उनका सम्बन्ध ना मेरे पांडित्य से है, ना तुम्हारी कल्पना-शक्ति से |"




सोमवार, 16 जनवरी 2012

प्यार और नफरत

एक औरत ने एक आदमी से कहा, "मैं तुमसे प्यार करती हूँ |" और आदमी ने कहा, "यह मेरा ह्रदय है जो तुम्हारे प्यार के काबिल है |"

और औरत ने कहा, "तुम मुझसे प्यार नहीं करते ?"

आदमी  ने सिर्फ़ उसे निहारा और कुछ नहीं कहा |

तब औरत जोर से रोने लगी, "मैं तुमसे नफरत करती हूँ |"

और आदमी ने कहा, "तब भी यह मेरा ह्रदय है जो तुम्हारी नफरत के काबिल है |"




गुरुवार, 12 जनवरी 2012

विनिमय

एक बार एक चौराहे पर एक गरीब कवि मूर्ख धनी से मिला, और बातचीत की | और जो भी उन्होंने कहा उससे सिर्फ उनका असंतोष व्यक्त हुआ |

उसी समय राहों का देवदूत वहां से गुजर रहा था, और उसने दोनों के कंधे पर अपना हाथ रखा |

और एक चमत्कार हुआ : दोनों ने अपनी संपत्तियों की अदला बदली कर ली |

और उन्होंने विदा ली | लेकिन काफी अजीब वाकया हुआ, कवि ने देखा और पाया कि उसकी मुट्ठी में एक फिसलती रेत के सिवा कुछ नहीं है; और मूर्ख ने अपनी आँखों को बंद किया और घुमड़ते बादलों के अलावा दिल में कुछ और महसूस नहीं किया |