एक सीप ने साथ वाली सीप से कहा, "मेरे अन्दर बहुत पीड़ा हो रही है | कुछ भारी और गोल सा महसूस हो रहा है, मैं बहुत परेशान हूँ |"
और तब दूसरी सीप ने अहंकारपूर्ण संतोष से कहा, "भगवान् और समुद्र देवता का बहुत शुक्रिया, मुझे कोई पीड़ा नहीं हो रही | मैं अन्दर और बाहर से स्वस्थ और सम्पूर्ण हूँ |"
उसी समय एक केकड़ा वहां से गुजर रहा था और उसने दोनों सीपियों की बातचीत सुनी, और उसने उस सीपी से कहा, जो अन्दर और बाहर से स्वस्थ और सम्पूर्ण थी, "हाँ , तुम स्वस्थ और सम्पूर्ण हो , किन्तु तुम्हारी साथ वाली सीप जो पीड़ा भुगत रही है वह अत्यधिक खूबसूरत मोती है |"