एक बार एक चौराहे पर एक गरीब कवि मूर्ख धनी से मिला, और बातचीत की | और जो भी उन्होंने कहा उससे सिर्फ उनका असंतोष व्यक्त हुआ |
उसी समय राहों का देवदूत वहां से गुजर रहा था, और उसने दोनों के कंधे पर अपना हाथ रखा |
और एक चमत्कार हुआ : दोनों ने अपनी संपत्तियों की अदला बदली कर ली |
और उन्होंने विदा ली | लेकिन काफी अजीब वाकया हुआ, कवि ने देखा और पाया कि उसकी मुट्ठी में एक फिसलती रेत के सिवा कुछ नहीं है; और मूर्ख ने अपनी आँखों को बंद किया और घुमड़ते बादलों के अलावा दिल में कुछ और महसूस नहीं किया |
उसी समय राहों का देवदूत वहां से गुजर रहा था, और उसने दोनों के कंधे पर अपना हाथ रखा |
और एक चमत्कार हुआ : दोनों ने अपनी संपत्तियों की अदला बदली कर ली |
और उन्होंने विदा ली | लेकिन काफी अजीब वाकया हुआ, कवि ने देखा और पाया कि उसकी मुट्ठी में एक फिसलती रेत के सिवा कुछ नहीं है; और मूर्ख ने अपनी आँखों को बंद किया और घुमड़ते बादलों के अलावा दिल में कुछ और महसूस नहीं किया |
व्यक्ति की सोच पर ही उसके व्यक्तित्व उसकी खुशी निर्भर होते हैं
जवाब देंहटाएंआभार बेहतरीन कहानियां शेयर करने के लिये