शुक्रवार, 25 मार्च 2011

दो रानियाँ





शावाकिस राज्य में एक राजा रहता था, और उसकी प्रजा उससे बहुत प्यार करती थी , पुरुष और स्त्री और बच्चे सभी | यहाँ तक की पशु पक्षी भी उसे सलाम करने आते थे |


लेकिन सभी लोग आपस में कहते थे, कि उसकी पत्नी, शावाकिस की रानी उससे प्यार नहीं करती; नहीं , बल्कि वह उससे नफरत करती है |


एक बार पडोसी राज्य की रानी , शावाकिस की रानी से मिलने के लिए आई | दोनों बेहद गर्मजोशी से मिले, और बातें करने लगीं | धीरे-धीरे उनकी बातों में अपने अपने पति का जिक्र आया |


और शावाकिस की रानी ने पूरे उत्साह से कहा, "कई साल तुम्हारी शादी को हो गए हैं , लेकिन आज भी तुम अपने पति के साथ बेहद खुश हो, ये देखकर मुझे कभी कभी ईर्ष्या होती है | मैं तो अपने पति से नफरत करती हूँ | वह सब लोगों का है , बस मेरा नहीं | मैं सही में इस दुनिया की सबसे नाखुश स्त्री हूँ |"


और तब मेहमान रानी ने उसकी ओर देखा और कहा, "सखि , सच ये हैं कि तुम अपने पति, शावाकिस के राजा से बहुत प्रेम करती हो | और, तुमने उन्हें हासिल किया है, और अपना बना के रखा है बिना किसी आडम्बर के, जबकि किसी स्त्री में यौवन उतने समय तक ही रहता है, जितना कि बाग़ में बसंत | लेकिन , मैं और मेरे पति , दोनों दया के पात्र हैं क्योंकि हम मूक धैर्य से सिर्फ एक दूसरे को बर्दाश्त करते हैं, और तुम और बाकी लोग इसे खुशियाँ समझ लेते हैं |"

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