बुधवार, 30 मार्च 2011

साधू और जानवर

एक बार कहीं हरी पहाड़ियों के बीच एक साधू रहता था | वह निर्मल आत्मा तथा स्वच्छ ह्रदय वाला था | और जमीन पर चलने वाले जानवर और आसमान में उड़ने वाले पक्षी सभी उसके पास आते थे और वह उनसे बातें करता था | वे बेहद प्रसन्नता से उसे सुना करते थे, और उसके आसपास जमा हो जाते थे, और रात घिर जाने तक नहीं जाते | तब वह उन्हें आशीर्वाद देकर उनके घर भेज देता, हवाओं और जंगलों में |

एक शाम जब वह उनसे प्रेम के बारे में बात कर रहा था, एक चीते ने अपना सर उठाया और साधू से कहा, "आप हमसे प्रेम के बारे में कह रहे हैं | महोदय, हमें बताइए, आपकी प्रेमिका कहाँ हैं ?"

और तब साधू ने कहा, "मेरी कोई प्रेमिका नहीं है |"

तब पशु पक्षियों के झुण्ड से आश्चर्य का शोर उठने लगा, और वे आपस में कहने लगे, "ये कैसे हमें प्रेम के बारे में बता सकता है जबकि ये खुद कुछ भी नहीं जानता ?" और वे सभी सर झुका कर शान्ति से उसे अकेला छोड़कर चले गए |
 
उस रात साधू चटाई पर औंधे मुंह लेटा, और छाती पर हाथ मारकर ज़ार ज़ार रोया |



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