सोमवार, 11 अप्रैल 2011

नबी और बच्चा

एक बार एक दिन शरिया नबी एक बगीचे में एक बच्चे से मिला | बच्चा दौड़ता हुआ उनके पास आया और बोला, "आपका दिन शुभ हो, श्रीमान ," और तब नबी ने कहा, "आपका भी दिन शुभ हो |" और एक पल बाद, "आप अकेले लग रहे हैं |"

तब बच्चे ने हंसी और ख़ुशी से कहा, "अपनी दाई से छुपने में काफी समय लगता है | उसे लगता है कि मैं उस बाड़े के पीछे हूँ; लेकिन मैं तो आपके सामने हूँ न ?" तब उसने नबी के चेहरे पर देखा और कहा, "आप भी तो अकेले हैं | आप अपनी दाई से कैसे छुपे ?"

नबी ने जवाब देते हुए कहा, "वो दूसरी बात है | सच ये है कि मैं उससे देर तक छुपा नहीं रह पाता | पर अब, जब मैं इस बगीचे में आया था,  तो वह मुझे बाड़े के पीछे ढूंढ़ रही थी |"

बच्चे ने ख़ुशी से तालियाँ बजायी, और चिल्लाया, "तो आप भी मेरे जैसे ही हो ! छुपना अच्छा लग रहा है न ?" और तब उसने पूछा, "आप कौन हो ?"

और तब आदमी ने जवाब दिया, "लोग मुझे शरिया नबी कहते हैं | और आप बताओ, आप कौन हो ?"

"मैं तो सिर्फ मैं हूँ, " बच्चे ने कहा, "और मेरी दाई मुझे ढूंढ़ रही है और उसे नहीं पता कि मैं कहाँ हूँ |"

तब नबी ने आसमान की ओर देखते हुए कहा, "मैं भी अपनी दाई से भाग आया हूँ, लेकिन मुझे पता है कि वह मुझे ढूंढ़ लेगी |"

और तब बच्चे ने कहा, "मुझे पता है कि मुझे भी मेरी दाई ढूंढ़ लेगी |"

उसी समय बच्चे का नाम लेती एक स्त्री की आवाज सुनाई दी, "देखो," बच्चे ने कहा, "मैंने कहा था न कि वह मुझे ढूंढ़ लेगी |"

उसी समय एक दूसरी आवाज सुनाई दी, "तुम कहाँ हो , शरिया ?"

और नबी ने कहा, "देखो मेरे बच्चे, मुझे भी उन्होंने ढूंढ़ लिया है |"

और ऊपर की ओर अपना चेहरा उठाकर, शरिया ने जवाब दिया, "मैं यहाँ हूँ |"


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