मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

तीन उपहार

 एक बार बशर के एक शहर में एक दयालु राजकुमार रहा करता था जो अपनी पूरी प्रजा द्वारा बेहद पसंद और सम्मानित किया जाता था |

लेकिन वहां एक निहायत गरीब आदमी था जो राजकुमार के खिलाफ बेहद कड़वा था, और वह लगातार उनका अपमान करने के लिए अपनी घातक जुबान चलाता रहता था |

राजकुमार ये सब जानता था, फिर भी वह धैर्यवान था |

लेकिन आख़िरकार उसने उसके बारे मैं सोचा, और एक सर्द रात को राजकुमार का नौकर उसकी चौखट पे आया, आटे की एक बोरी, साबुन का एक झोला, और चीनी का एक डिब्बा लेकर |
और नौकर ने कहा, "राजकुमार ने तीन उपहार एक यादगार निशानी के तौर पर आपको भेजे हैं |"

आदमी काफी उत्साहित हुआ, उसे लगा कि ये उपहार राजकुमार की तरफ से उसका सम्मान है | और अपने गर्व में वह बिशप के पास गया और उसे राजकुमार ने जो किया , बता आया, और कहने लगा , "क्या तुम देख नहीं रहे कि राजकुमार मेरी सद्भावनाओं की कितनी आकांक्षा रखता है ?"

लेकिन बिशप ने कहा, "वह, राजकुमार कितने बुद्धिमान हैं, और तुम कितने नासमझ | उन्होंने इशारों में सब कुछ कह दिया है | आटा तुम्हारे भूखे पेट के लिए था; साबुन तुम्हारी गन्दगी को हटाने के लिए था; और चीनी तुम्हारे कडवी जुबान को मीठा करने के लिए |"

उस दिन के बाद से वह आदमी खुद अपने आप से शर्मिंदा हो गया | राजकुमार के लिए उसकी नफरत पहले से भी कहीं ज्यादा बढ़ गयी, और उससे भी ज्यादा वह उस बिशप से नफरत करने लगा जिसने राजकुमार के उपहारों का रहस्य उस पर उजागर किया |

लेकिन उसके बाद वह चुप रहा |



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